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गुरुवार, 10 सितंबर 2020

डर कर रहना अच्छा है

जहाँ कुटिल हो ,शासक ,शासन ,कुछ ना कहना अच्छा है
डर कर रहना अच्छा है
जब सत्ता डूबी हो मद में ,लूटमार में लगी हुई
जब जनता महसूस कर रही हो अपने को ठगी हुई
दम्भी और घमंडी थामे ,बागडोर हो शासन की
नहीं किसी की परवाह जिनको ,करते हो अपने मन की
ऐसे लोगों से पंगा ले ,हानि खुद की करना है
अपने हाथ पैर तुड़वाना ,बिना मौत या मरना है
इससे बेहतर है इनसे तुम ,दूर रहो ,थोड़ा हट कर
कब तुम्हारे स्वप्न महल पर ,चलवा दे ये बुलडोजर
इनके गुंडे नहीं चैन से ,कभी तुम्हे रहने देंगे    
करते तुमको तंग रहेंगे  , सत्य नहीं कहने देंगे
धीरज रखो ,चंद दिन में ही जनता इन्हे धता देगी
ऐसी चोट वोट की देगी ,सब औकात बता देगी
सही समय पर इनको मारो ,तभी होश में आएंगे
तिलमिलायेंगे लेकिन ये कुछ भी कर ना पाएंगे
मुश्किल है पर परेशानियां ,कुछ दिन सहना अच्छा है
डर  कर रहना अच्छा है 

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