पृष्ठ

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

बुढ़ापे का रेस्टरां

रेस्ट करने की जगह ये ,बुढ़ापे का रेस्टरां है
ट्राय करके देखिएगा ,बहुत कुछ मिलता यहाँ है

है बड़ा एन्टिक सा लुक ,पुरानी कुर्सी और मेजें
पुरानी यादों के जैसी ,भव्यता अपनी सहेजे
हल्की हल्की रौशनी का ,है बड़ा आलम निराला
पुरानी कुछ लालटेनों, से यहाँ होता उजाला
आप मीनू कार्ड पर भी ,नज़र डालें ,अगर थोड़ी
बुढ़ापे के हाल खस्ता सी यहाँ खस्ता कचौड़ी
चटपटा यदि चाहते कुछ ,मान करके राय देखो
खट्टे मीठे ,अनुभवों की ,चाट करके ट्राय  देखो
बुढ़ापे की जिंदगी सी ,खोखली पानीपुरी  है
अच्छे दिन की आस के स्वादिष्ट पानी से भरी है
दाल से पिस ,तेल में तल ,हुये मुश्किल से बड़े है
मोह माया के दही में ,ठीक से लिपटे पड़े है
दही के ये बड़े काफी स्वाद ,चटनी बहुत प्यारी
जलेबी भी है ,जरा ठंडी ,मगर अब तक करारी
न तो खुशबू गुलाबों की ,स्वाद भी ना जामुनों का
नाम पर गुलाबजामुन ,आप खा जाएंगे धोखा
देखा ये  अक्सर नहीं गुण ,नाम के अनुसार होता
वरिष्ठों से शिष्टता का ,ज्यों नहीं व्यवहार होता
चाय स्पेशल हमारी ,गरम ,कुल्हड़ में मिलेगी
सौंधा सौंधा स्वाद देगी ,ताजगी तुममें भरेगी
देर तक बैठे रहो और मज़ा लो हर आइटम का
वक़्त भी कट जाएगा और बोझ घट जाएगा मन का
जवानी में यहाँ मिलता ,उम्र भर का तजुर्बा है
रेस्ट करने की जगह यह ,बुढ़ापे का रेस्टरां है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।