पृष्ठ

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

एक पाती -पोते के नाम

तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है
सफलताएं चूमे तुम्हारे चरण ,
हमे तुमसे कितनी ही उम्मीद है

तुम्हारे पिताजी ने मेहनत करी ,
और पायी कितनी ही ऊंचाइयां
लहू में तुम्हारे  समाई  हुई ,
है व्यापार करने की गहराइयाँ
बढे काम इतना कि सब ये कहे ,
कि बेटा पिता से भी इक्कीस है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

विदेशों में तुमने पढाई करी ,
बहुत कुछ करूं मन में सपना पला
बहुत ही लगन  और उत्साह है ,
और है बुलंदी लिए हौंसला
भरपूर उपयोग हो ज्ञान का ,
हमारी तुम्हे ये ही ताकीद है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

आगे भले कितने बढ़ जाओ तुम ,
कभी गर्व से पर नहीं फूलना
सहकर्मियों से रहो मित्र बन
बुजुर्गों को अपने नहीं भूलना
सबसे मिलो ,प्यार करते रहो ,
परिवार की अपने तहजीब है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।