पृष्ठ

सोमवार, 8 जून 2020


madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com>
5:56 PM (13 minutes ago)
to baheti.mm.t., baheti.mm.tara2, baheti.mm.tara4, Ram, kalampiyush, kamal.hint, navin, Rakesh, Ritu, Siddharth, Vanesa, A.K., Prakash, Dwarka, Jagdish, Sumit, Vinita

                सन 2020

परेशानियां मुंह फाड़े है ,मन में उठती टीस रे
कब तक हमें सतायेगा सन दो हजार और बीस रे

जब से आया नया बरस ये ,मचा रहा उत्पात है
कितनी मुश्किल,परेशानियां,लाया अपने साथ है
मानवता का दुश्मन बन कर ,फैल रहा है कोरोना
त्रसित दुखी इस बिमारी से दुनिया  का कोना कोना
बंद देश का सब उत्पादन ,रेलें ,सड़क ,बाज़ार है
तार तार है अर्थव्यवस्था ,लाखों लोग  बेकार  है
श्रमिक पलायन करें गाँव को ,डर वाला  माहौल है
सब चिन्तित,घर घुस बैठे,खुशियों का बिस्तर गोल है
है तबाही का तांडव करते ,भारत में तूफ़ान है  
पूरब से ले पश्चिम तट पर , सागर लिये  उफान है
मौसम बदले ,कालचक्र से तू हमको मत पीस रे
कब तक हमें सतायेगा सन दो हज़ार और बीस रे
 
दिल्ली में दंगे करवा कर ,खूब   मचाई बरबादी
हिन्दू मुस्लिम बीच घृणा की खाई तूने खुदवा दी
इधर पडोसी पाक , बड़ी नापाक़ हरकतेँ करता है
और उत्तर में चीनी ड्रेगन ,गीदड़ भभकी  भरता है
दुर्घटना पर दुर्घटना है ,ओले कहीं ,कहीं शोले
और ऊपर से टिड्डी दल ने ,खेतों पर हमले बोले
दो महीने में सात बार ,आया भूकंप ,हिली धरती
बतला तेरा इरादा क्या है ,पूछ रही दुनिया डरती
बहुत नचाया  तूने हमको ,कितना और नचायेगा  
अभी सात महीने बाकी है,तू क्याक्या दिखलायेगा
विश्व युद्ध तो कहीं तीसरा ,लिखा न तेरे  नसीब  रे
कब तक हमें सताएगा सन  दो हज़ार और बीस रे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।