पृष्ठ

रविवार, 14 जून 2020

अब तो खैर करो भगवान

कैसा आया यह तूफ़ान
संकट में है सबके प्राण
दया दिखा दो ,दयानिधान
अब तो खैर करो भगवान
सब पर आयी विपद हरो
कोरोना को ध्वंस  करो

हम सब अब भयभीते है
हर पल डर कर जीते है
सांस सांस में दहशत है
आयी ऐसी  आफत है
हर इन्सां है ख़ौफ़ज़दा
सहमा सहमा रहे सदा
कोरोना की  महामारी
दिन दिन फ़ैल रही भारी
सूक्ष्म वाइरस ,अति बलवान
अब तो खैर  करो भगवान
सब पर आयी विपद हरो
कोरोना को ध्वंस  करो

पहले कितनी मस्ती थी
मन में खुशियां बसती थी
हर दिन होता जोश भरा
मन में था संतोष भरा
जब कि काम ही पूजन था
रहता व्यस्त हरेक जन था
अब हम बैठ निठल्ले से
घर घुस रहते  झल्ले से
नहीं जिंदगी ये आसान
अब तो खैर करो भगवान
सब पर आयी विपद हरो
कोरोना को  ध्वंस  करो

कब तक रोवें हम रोना
हो के रहेगा ,जो होना
फिर भी कोरोना का डर
घुस बैठा मन के अंदर
बुरे ख्याल है जब आते
तो हम तड़फ तड़फ जाते
क्या होगा कुछ अगर हुआ
तुमसे मांगें यही दुआ
स्वस्थ रहे सब ,दो वरदान
अब तो खैर करो भगवान
सब पर आयी विपद हरो
कोरोना को ध्वंस करो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।