पृष्ठ

मंगलवार, 26 मई 2020

दिल की बात

नन्हा सा दिल हमारा,उस पर कितना भार
एक मिनिट में धड़कता ,है वह सत्तर  बार
है  वह  सत्तर बार ,समाये   रखता  सपने
बसती  कई तमन्नाये और सुख दुःख अपने  
कह' घोटू 'कविराय , समय  ऐसा भी आता
कोई दिलवर भी आकर दिल में बस  जाता

होती सत्तर किलो की ,यह काया अभिराम
उसमे रहता दिल,वजन ,महज़ तीन सौ ग्राम
महज़ तीन सौ ग्राम ,लोड पड़ता है  भारी
जब उसमे बस जाती कोई सुंदरी  प्यारी
नाजुक ,दुबली पतली कन्या मन को भावे
ताकि दिल पर अधिक बोझ ना पड़ने पावे

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।