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शुक्रवार, 22 मई 2020

हम प्यार जताना भूल गये

जब दिन भर रहते जुदा जुदा
संध्या तक बढ़ती मिलान क्षुधा
अब इतने दिन लॉक डाउन में ,
हम पास पास  ही रहे  सदा
बच्चों से नज़र बचा करके ,
चुंबन को चुराना भूल गये
हो गये तृप्त है अब इतने ,
हम प्यार जताना भूल गये

चाहे कितने ही  रखो छुपा ,
तुम मास्क बाँध ,रस भरे अधर  
सोफे पर चिपके बैठे हम ,
संग देखे टी वी गढ़ा नज़र
तिरछी नज़रों के तीर चला ,
तुम भी तड़फाना भूल गए
हो गए तृप्त है अब इतने ,
हम प्यार जताना भूल गये

मीठे संग रह ,हलवाई की ,
मिट जाती है मीठे की तलब
ना लगती ज्यादा मिलन प्यास ,
चौबिस घंटे तुम पास हो जब
रह काम काज में व्यस्त सदा ,
तुम सजना सजाना भूल गये
 हो गये तृप्त है अब इतने ,
हम प्यार जताना भूल गये    

दीवानापन था विवाह पूर्व ,
अपनापन शादी बाद हुआ
बन गया एक दिनचर्या सा ,
जब मिलन,सुलभ दिनरात हुआ
तुम भी शरमाना भूल गये ,
हमको ललचाना भूल गये
हो गए तृप्त है अब इतना ,
हम प्यार जताना भूल गये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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