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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

खुफिया तंत्र फेल ? अफवाह तंत्र भारी?

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लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के अनंदविहार बस अड्डे पर और मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर जमा हुई हजारों की भीड़... और अब पालघर में तीन साधुओं की हत्या... इन सबके पीछे एक ही चीज कॉमन है और वो है... देश में ताकतवर होता 'अफवाह तंत्र' और इसका प्रमुख हथियार है... ह्वाट्सप - फेसबुक - ट्विटर - यूट्यूब और टिकटॉक पर धड़ल्ले से बन रही फेक आईडी, पेज और ग्रुप्स...

सरकार यदि वाकई सीरियस है तो इसे रोकने के लिये कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे... केवल टीवी चैनलों द्वारा 'वायरल खबर सच या झूठ' से काम नहीं चलेगा... अभी नहीं चेते तो वो समय दूर नहीं जब देश में अराजकता फैलाना देश के दुश्मनों के लिये बांये हाथ का खेल हो जायेगा। डिस्ट्रक्टिव माइंड यानी कि आपराधिक और स्वार्थी लोगों के लिये ये एक तरह से व्यवसाय और लक्ष्य प्राप्ति का जरिया बनता जा रहा है। मेरे हिसाब से इसे दो कारगर तरीके हो सकते हैं...

१) सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये आईडी प्रूफ अनिवार्य हो। सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी सार्वजनिक होनी अनिवार्य हो, जैसे कि वे किस देश, राज्य से हैं, किस पेशे से हैं। मेल हैं या फीमेल हैं आदि। इसके लिये इन सभी साइट के मालिकों पर दबाव बनाना पड़ेगा... क्योंकि वे शराफत से इसे मानेंगे नहीं।

- इससे सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाना या अपराध करना लगभग असंभव हो जायेगा।

२) देश में खुफिया तंत्र का विस्तार किया जाये। इसके लिये अलग-अलग स्तर पर भारी मात्रा में अधिकारी और कर्मी नियुक्त किये जायें जो सीबीआई जैसी एजेंसियों के अंतर्गत कार्य करें। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिये अलग, विभिन्न सोशल मीडिया साइटस की जांच के लिये अलग लोग नियुक्त किये जायँ। और इनके वेतन का प्रबंध अपराधियों द्वारा भारी-भरकम वसूली और सरकारी राजस्व द्वारा किया जाये।
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- इससे अपराध और अराजकता में जबर्दस्त गिरावट आयेगी।

- इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

- देश के दुश्मनों के हौसले पस्त होंगे।

- सरकार का सिर दर्द कम होगा।
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- विशाल चर्चित

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