पृष्ठ

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

लक्ष्मी पूजन और आतिशबाजी

उन्होंने वायु प्रदूषण से बचने लिए,
 मुंह पर 'मास्क 'बाँध रखा था ,
ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए ,
कानो में 'इयर प्लग ' थे
पर धार्मिक परम्पराओं को निभाने के ,
उनके ख्यालात गजब थे
वातावरण, बिगड़े तो बिगड़े
प्रदूषण ,बड़े तो बड़े
पर हम आतिशबाजी जलाने की ,
जिद पर रहेंगे अड़े
हमें अपनी परम्पराये ,
निभानी तो निभानी ही है
लक्ष्मी पूजन के बाद ,आतिशबाजी ,
जलानी तो जलानी ही है ,
मोमबत्ती हाथ में ले ,
आतिशबाजी में आग लगाते थे
और डर  के मारे दूर भाग जाते थे
क्योंकि वो आग और धुवें से घबराते थे
जाने क्यों उनकी समझ में ,
ये बात नहीं थी आती
जिस तरह आतिशबाजी के डर से
वो दूर भाग जाते है
उसी तरह इस शोर शराबे से डर कर ,
आती हुई लक्ष्मी जी भी है भाग जाती

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।