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शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

पर्यटक का प्यार

आज मेरी चाह 'अजमेरी 'हुई है ,
और 'दिल्ली' की तरह है दिल धड़कता
'चेन्नई 'सा चैन भी खोने लगा है ,
'आगरे' की आग में तन बदन जलता
मैं 'अलीगढ' का अली हूँ ,तुम कली थी,
देह' देहरादून' सी विकसी  हुई है
मन बना है 'बनारस' जैसा रसीला ,
मुरादें  अब , 'मुरादाबादी' हुई है
चाहता हूँ प्यार से दिल विजय करके ,
तुझे 'जयपुर' में गले जयमाल डालूं
बना रानी ,रखूँ  'रानीखेत' दिल में ,
मिलान की रजनी 'मनाली 'में मनालूं

घोटू  

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