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शनिवार, 27 जुलाई 2019

हम सब कांवड़िये है

जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़
संभल संभल जो  चलते वो पाते आगे बढ़    

एक तरफ कांवड़ में परिवार और घर है
और दूसरी तरफ काम है और दफ्तर है
दोनों पर ही पूर्ण ध्यान देना आवश्यक ,
ऊंच नीच थोड़ी सी भी कर देती गड़बड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़

कांवड़ में एक तरफ पत्नी का अधिकार है  
एक तरफ माँ और पिता का भरा प्यार है
दोनों का संतुलन अगर थोड़ा  बिगड़ा ,
जीवन यात्रा में कितनी मुश्किल जाती पड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़

हर कावड़ में एक तरफ खुशियां  सुख है
परेशानियां ,दूजी और  भरे   दुःख है
सुख दुःख में संतुलन बना कर जो जीते ,
वो ही सफलता की मंजिल को पाते चढ़
जीवन में हर एक  काँधे पर होती कांवड़  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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