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शनिवार, 1 सितंबर 2018

देखो मुझको डाटा न करो 

देखो मुझको डाटा न करो ,चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में 
वरना हम तुम की नोकझोंक ,के किस्से होंगे घर घर में 

ऑफिस में  करते कद्र सभी ,
            तुम मुझे समझती हो बेढब 
पर बात और बिन बात मुझे ,
           तुम डाटा करती हो जब तब 
होंगे डिस्टर्ब पडोसी सब , 
                गाली दे देकर  कोसेंगें 
क्या असर पड़ेगा बच्चों पर ,
                 मम्मी पापा क्या सोचेंगे 
पर तुम्हे कोई परवाह नहीं ,
                 थोड़ा धीरज ना धर पाती 
मन माफिक जो कुछ नहीं हुआ ,
                 बस डंडा लेकर चढ़ जाती 
तुम सीखो धीरज धरना भी 
ऊपरवाले से डरना भी 
इस रोज रोज के झगड़े से ,हो गया तंग हूँ डियर  मैं 
देखो मुझको डाटा न करो ,चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में 

है ये भी बात नहीं कि है
                  बोली में तुम्हारे तीखापन 
है बहुत मधुर स्वर तुम्हारा ,
                  पढ़ती जब गीता ,रामायण 
वह मधुर तुम्हारी बोली थी ,
                   जिसने मोहा था मेरा मन 
अब भी बच्चों और महरी से 
                तुम मीठी बात करो हरदम 
फुसफुसा बात करती मुझसे ,
               तुम हंसकर ,बहुत मधुर स्वर में 
जब मूड प्यार का होता है ,
                 हम तुम होते है बिस्तर में 
वो मीठे स्वर मुंह पर लाओ 
इस तरह डाट मत चिल्लाओ 
पुचकार कहो,सब काम करू,बन कर तुम्हारा नौकर मैं 
देखो मुझको डाटा न करो , चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
 

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