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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

मैं डॉग लवर हूँ 

मैं भी कुत्ते सा भौंका करता अक्सर हूँ 
                             मैं डॉग लवर हूँ 
मैं कुत्ते सा, मालिक आगे पूंछ हिलाता 
रोज रोज ही ,सुबह घूमने  को मैं  जाता 
स्वामिभक्त श्वान सा ,मेरी बात निराली 
मैं भी पूरे घरभर की करता  रखवाली 
झट जग जाता,श्वान सरीखी निद्रा रखता 
मैं हूँ घर में ,कोई अजनबी ,नहीं फटकता 
खड़े कान रहते ,चौकन्ना रहता हरदम 
बंधे गले में, पट्टे से   सामजिक बंधन  
हो जब अपनी गली. स्वयं को शेर समझता 
हड्डी डालो ,खुद का खून ,स्वाद ले चखता 
रोटी कोई डाल दे ,रखता नहीं सबर हूँ 
                              मैं डॉग लवर हूँ 
   
घोटू 

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