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रविवार, 17 जून 2018

बावन पत्ते 

हम और तुम और बावन पत्ते 

जब तुम पीसो ,तब मै काटूँ 
जब तुम काटो ,तब मैं बांटू 
चौके,पंजे ,अट्ठे,सत्ते 
हम और तुम और बावन पत्ते 

इक्के दुक्के कभी कभी हम 
तीन पांच करते आपस में 
तुम चौका, मैं छक्का मारूं,
बड़ा मज़ा आता है सच में 
ये क्या कम हम साथ साथ है 
और बिखरे, सात आठ नहीं है 
तुम मारो नहले पर दहला ,
फिर भी मन में गाँठ नहीं है 
तुम बेगम बन रहो ठाठ से ,
बादशाह मैं ,पर गुलाम हूँ 
तुम हो हुकुम ,ईंट मैं घर की ,
तुम चिड़िया मैं लालपान हूँ 
कभी जीतते,कभी हारते ,
हँसते हँसते  बावन हफ्ते 
हम और तुम और बावन पत्ते 

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

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