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बुधवार, 18 अप्रैल 2018

गाना और रोना 

गाना सबको ही आता  है ,कोई सुर में,कोई बेसुरा 
रोना सबको ही आता है ,कोई रोष में,कोई दुःख भरा 

मन में जब पीड़ा होती है ,आँखों में आ जाते आंसू 
अंतरतर की सभी वेदना , बह कर बतला जाते आंसू  
कभी कभी जब गुस्सा आता,तो भी आँखे छलका करती 
भावों का गुबार बह जाता ,आंसू बन मन हल्का  करती
कभी मिलन में या बिछोह में ,आँखे पानी भर भर लाती 
मोती जैसे प्यारे प्यारे ,आंसू गालों पर ढलकाती
बच्चों की आँखों में आंसू ,या उसका चीख चीख रोना 
सुन कर विचलित हो जाता है,माँ के मन का कोना कोना 
शायद भूख  लगी उसको , वह सारे काम छोड़ करआती 
उसको आँचल में भर कर के ,दुग्धामृत का पान कराती 
नीर भरे नैनों से विरहन ,प्रीतम का रस्ता तकती है 
अश्रु जनक आँखे भी आंसू ,अपने पास नहीं रखती है 
कुछ आंसू होते घड़ियाली ,कुछ बहते सहानुभूति पाने 
कुछ आंसू ,पत्नी आँखों से ,भाते ,निज जिद को मनवाने 
कोई बिलखता,कोई सिसकता ,कोई रुदन हिचकियों से भरा 
रोना सको ही आता है ,कोई रोष में,कोई दुःख भरा 

जब मन में होती प्रसन्नता ,देखा है लोगों को गाते 
सूनी राह ,रात में डर कर,कई बेसुरे,गा चिल्लाते 
कुछ गाते है बाथरूम में ,जब ठंडा लगता है पानी 
कुछ शोहदे ,गाना गा करते,लड़की के संग छेड़खानी 
गाना जब सुर में होता है ,तो वह छू लेता है मन को 
साज और संगीत हमेशा ,सुख देते है इस जीवन को 
मंगल गीत हमेशा गाये जाते है,हर आयोजन में  
शादी या त्यौहार,पर्व में ,या फिर ईश्वर के पूजन में 
भजन कीर्तन करना भी तो ,प्रभु की सेवा ,आराधन है 
राष्ट्रगान से यशोगान तक ,गाय करता है एक जन है 
कुछ दर्दीले ,कुछ भड़कीले ,कुछ पक्के कुछ फ़िल्मी गाने 
कुछ गाने होठों पर चढ़ते ,कुछ हो जाते है बेगाने 
या फिर डीजे वाले गाने ,जो पैरों को थिरकाते है 
कुछ कोरस गाने होते जो कई लोग मिल कर गाते है 
जान फूंक देता शब्दों में ,अगर कंठ हो ,कोई रसभरा 
गाना सबको ही आता है ,कोई सुर में ,कोई बेसुरा 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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