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शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

खल्वाट पति से 

बाकी ठीक ,मगर क्यों ऐसा ,बदला हाल तुम्हारा प्रीतम 
दिल तो मालामाल मगर क्यों ,सर कंगाल तुम्हारा प्रीतम 

मुझे चाँद सी मेहबूबा कह ,तुमने मख्खन बहुत लगाया 
ऐसा सर पर मुझे बिठाया ,सर पर चाँद उतर है आया 
चंदा जब चमका करता है ,आता ख्याल तुम्हारा प्रीतम 
दिल तो मालामाल मगर क्यों ,सर कंगाल तुम्हारा प्रीतम 

दूज ,तीज हो चाहे अमावस ,तुम हो रोशन ,मेरे मन में 
चटक चांदनी से  बरसाते ,प्रेम सुधा  मेरे जीवन   में 
नज़रें फिसल फिसल जाती लख ,चिकना भाल तुम्हारा प्रीतम 
दिल तो मालामाल मगर क्यों ,सर कंगाल तुम्हारा प्रीतम 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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