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मंगलवार, 22 अगस्त 2017

हे देवी,पत्नी-परमेश्वरी 

हे  देवी,  पत्नी-परमेश्वरी 
हृदयवासिनी,तू हृदयेश्वरी 

शांतिदायिनी,सुखप्रदायिनी 
अंकशायिनी ,मन लुभावनी 
नवरस भोजन ,स्वाददायिनी 
सब घरभर का बोझ वाहिनी 
मैं तुम्हारा ,दास  अकिंचन ,
सुख दुःख की तुम ,मीत सहचरी 
हे  देवी  पत्नी -परमेश्वरी 

विधि ने तुमको स्वयं बनाया 
खिले कमल सी,कोमलकाया 
महक पुष्प सी,चहक खगों की 
चंचलता और चाल  मृगों  की 
रक्तिम अधर,नयन कजरारे,
कंचन तन की छवि सुनहरी 
हे  देवी - पत्नी परमेश्वरी 

तेरी पूजा ,तेरा  अर्चन 
कर पुलकित होता मेरा मन 
अन्नपूर्णा ,लक्ष्मी है तू 
मैं श्रद्धानत ,तुझको पूजूं 
खुशियां बरसाती जीवन में,
बन कर प्यार भरी तू बदरी 
हे  देवी  पत्नी -परमेश्वरी 

कनकछड़ी सी सुंदर मूरत 
प्रेम घटों से छलके  अमृत 
मैं तुम्हारा ,दास अकिंचन 
निशदिन करू,तुम्हारा वंदन 
रूप गर्विता ,प्रेम अर्पिता 
प्यारी सुन्दर ,छवि नित निखरी 
हे  देवी  पत्नी -परमेश्वरी 
मन को भाता ,मुख मुस्काता 
देख हृदय प्रमुदित हो जाता 
तेरे एक इशारे भर पर 
मैं चकरी सा,खाता चक्कर 
तेरे आगे ,उठ ना पाती ,
नजर हमारी ,डरी डरी 
हे  देवी  पत्नी-परमेश्वरी 

आस लगाए बैठा ये मन 
दे दो मधुर ,अधर का चुंबन 
बाँध मुझे बाहु बंधन में 
उद्वेलन भरदो तन मन में 
पा ये प्रेम प्रसाद आस्था ,
दिन दिन बढे और भी गहरी 
हे  देवी  पत्नी-परमेश्वरी 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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