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सोमवार, 10 जुलाई 2017

खुल जा सिम सिम 

१ 
अलीबाबा और चोर का ,किस्सा कर लो याद 
एक खजाना लग गया ,अलीबाबा के  हाथ 
अलीबाबा के हाथ ,हुई थी धन की रिमझिम 
खुले खजाना ,जब वो कहता ,खुल जा सिम सिम 
कह घोटू कवि ,भरे हुए थे ,हीरा,मोती 
वो ले आता लाद ,उसे जब जरूरत होती 
२ 
वैसे ही एक खजाना ,पास हमारे आज 
सिम सिम याने डबल सिम ,छुपा इसी में राज 
छुपा इसीमे राज ,खजाना है मोबाइल 
और इस सिम सिम से लूटो जितना चाहे दिल 
दुनिया भर का ज्ञान,सूचना सब मिल जाते  
अपनों से दिन रात करो, जी भर कर बातें 

घोटू 

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