पृष्ठ

मंगलवार, 23 मई 2017

आ जाया करो 

जो हमसे मिन्नतें करते थे कि रोज रोज आ जाया करो 
और बैठ हमारे पहलू में ,तुम देर तलक ना जाया करो 
इतने बदले.,अब मिलते तो ,कहते जो कहना ,जल्द कहो ,
हम काम में हैं मशगूल बहुत,तुम वक़्त यूं ही ना ज़ाया करो 

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।