करिश्मा कृष्ण का
१
बिन लिए हथियार कर में,महाभारत के समर में ,
पांडवों की जय कराना, ये करिश्मा कृष्ण का था
छोड़ अपना राज मथुरा,समंदर के किनारे जा ,
द्वारिका नूतन बसाना ,ये करिश्मा कृष्ण का था
बालपन में ,उँगलियों से ,बांसुरी की धुन बजाना ,
गोपियों का मन रिझाना ये करिश्मा कृष्ण का था
और बड़े हो उसी ऊँगली ,पर चढ़ा कर के सुदर्शन ,
चक्र ,दुनिया को हिलाना, ये करिश्मा कृष्ण का था
२
लोग अक्सर ऐश्वर्य पा ,भूल जाते सखाओं को ,
दोस्ती पर सुदामा के ,संग निभाई कृष्ण ने थी
एक पत्नी झेलना मुश्किल ,मगर रख आठ रानी,
जिंदगी, खुश सभी को रख कर बितायी कृष्ण ने थी
फलों की चिता किये बिन,कर्म की महिमा बता कर,
महाभारत के समर में ,गीता सुनाई कृष्ण ने थी
ऐसा बंशी बजाने का महारथ हासिल किया था ,
उमर भर ही चैन की ,बंशी बजायी कृष्ण ने थी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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