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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

अब तो शिद्दत हो गयी 

चर्चा  करते  करते  मुद्दों की ,तो  मुद्दत  हो  गयी 
नतीजा कुछ भी न निकला ,अब तो शिद्दत हो गयी  
अभी तक भी कंवारा ,बैठा है मेरा  यार वो ,
रोज कहता था फलां से ,उसको उल्फत हो गयी 
शमा जलती ही रही ,कुछ फर्क ना उसको पड़ा,
मुफ्त  में  परवाने कितनो , की शहादत हो गयी 
सीमा पर कितने ही सैनिक मरे ,सब चलता रहा ,
एक  एम पी मर गया  तो बन्द   संसद हो गयी 
करोड़ों का काला पैसा ,जमा जिनके पास था ,
नोटबन्दी क्या हुई ,उनको तो हाजत  हो गयी 
दे दिया औरों के हाथों ,साइकिल का हेंडिल,
बाप बेटे लड़ लिए , कुर्सी  मुसीबत हो गयी 
जबसे पिछड़ापन तरक्की की  गारन्टी बन गया ,
लाभ लेने वालों की ,लम्बी सी पंगत  हो गयी 
निगलते भी नहीं बनता ,ना ही बनता उगलते,
अब तो इस माहौल में ,रहने की आदत हो गयी 

मदन मोहन बाहेती;घोटू;

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