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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

डर और प्यार


जो विकराल ,भयंकर होते ,और दरिंदगी जो करते है 
या फिर भूत,पिशाच,निशाचर,इन सबसे हम सब डरते है 
बुरे काम से डर लगता है ,पापाचार  डराता हमको 
कभी कभी थप्पड़ से ज्यादा ,झूंठा प्यार डराता हमको 
माँ तो लेती पक्ष ,डराती है पर पापा की नाराजी 
दफ्तर में अफसर का गुस्सा ,या निचलों की मख्खनबाजी 
स्कूल में एक्ज़ाम डराता ,करना घर में काम डराता 
महबूबा का मीठा गुस्सा ,बदनामी का नाम डराता  
बुरी चीज ही हमे  डराये ,ऐसा ही ना होता हरदम 
कुछ प्यारी और अच्छी चीजों से भी डर कर रहते है हम  
परमपिता अच्छे है भगवन,पर हम उनसे भी डरते है 
देख रहे वो ,उनके डर से ,पाप कर्म कुछ कम करते है 
सबको अच्छी लगे मिठाई,आलू टिक्की,चाट पकोड़ी 
डाइबिटीज और केलोस्ट्राल के ,डर से हम खाते है थोड़ी 
इतनी अच्छी होती पत्नी, हर पति प्यार उसे करता है 
शेर भले ही कितना भी हो ,पर वो पत्नी से डरता है 
कभी बरसता ,हद से ज्यादा ,पत्नीजी का अगर प्यार है 
तो डर है निश्चित ही उस दिन ,पति होने वाला हलाल है 
बहुत अधिक दुख से डर लगता,बहुत अधिक सुख हमे डराता 
सचमुच बड़ा समझना मुश्किल,है डर और प्यार का  नाता 

घोटू  

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