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शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

हर दुःख का उपचार समय है


हृदयविदारक समाचार है जब से आया 
मुश्किल से भी ,कुछ ना खाया 
चाय हो या दूध,चपाती 
नीचे गले उतर ना पाती 
पिछले कुछ दिन ऐसे बीते 
यूं ही आंसू पीते पीते 
झल्ली गम की ,
बीच गले में एक बन गयी 
भूख थम गयी 
एसा सदमा
 हृदय में जमा 
हिचकी भर भर रोते जाते 
दुःख के आंसू सूख न पाते 
साथ समय के धीरे धीरे 
कम हो जाती मन की पीरें 
चलता गतिक्रम वही  पुराना 
खाना ,पीना,.हंसना ,गाना 
फिर से वही पुरानी लय है 
हर दुःख का उपचार समय है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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