मगर मस्ती नहीं करता
मै हरदम मस्त रहता हूँ,मगर मस्ती नहीं करता
मटर तो खूब खाता पर , मटरगश्ती नहीं करता
हुआ अभ्यस्त जीने का ,मैं रह कर व्यस्त अपने में,
जबर तो लोग कहते पर ,जबरजस्ती नहीं करता
न तो चमचागिरी आती,न मै मख्खन लगा पाता ,
स्वार्थ के वास्ते ,मैं आस्था ,सस्ती नहीं करता
अगर जो तनदुरस्ती है ,हजारों ही नियामत है ,
इसलिए चुस्त मै रहता ,तनिक सुस्ती नहीं करता
खुदा ही एक हस्ती है,जो मेरे मन में बसती है,
किसी भी और की लेकिन ,परस्ती मैं नहीं करता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मै हरदम मस्त रहता हूँ,मगर मस्ती नहीं करता
मटर तो खूब खाता पर , मटरगश्ती नहीं करता
हुआ अभ्यस्त जीने का ,मैं रह कर व्यस्त अपने में,
जबर तो लोग कहते पर ,जबरजस्ती नहीं करता
न तो चमचागिरी आती,न मै मख्खन लगा पाता ,
स्वार्थ के वास्ते ,मैं आस्था ,सस्ती नहीं करता
अगर जो तनदुरस्ती है ,हजारों ही नियामत है ,
इसलिए चुस्त मै रहता ,तनिक सुस्ती नहीं करता
खुदा ही एक हस्ती है,जो मेरे मन में बसती है,
किसी भी और की लेकिन ,परस्ती मैं नहीं करता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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