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सोमवार, 4 जुलाई 2016

छेड़छाड़

           

किसी के साथ कभी छेड़खानी मत करना ,
हमेशा  इसका   तो अंजाम बुरा होता है 
सूखते   घावों को मत छेड़ो,लगेगें  रिसने,
छेड़खानी  का  हर काम  बुरा  होता  है 
शहद के छत्ते को ,थोड़ा सा छेड़ कर देखो ,
काट,मधुमख्खियां बदहाल तुम्हे कर देंगी 
करोगे छेड़खानी ,राह चलती लड़की से,
भरे बाज़ार में ,इज्जत उतार रख देगी 
कोई सोते हुए से शेर को जो छेड़ोगे ,
तुम्हे पड़ जाएंगे ,लेने के देने ,रोवोगे 
 किसी कुत्ते को जो छेड़ोगे ,काट खायेगा ,
सांप को छेड़ोगे तो प्राण अपने खोवोगे 
भूल से भी किसी नेता  छेड़ मत देना ,
फ़ौज चमचों की ,वर्ना तुमपे टूटेगी यो ही 
सभी के साथ चलो,राग अपना मत छेड़ो,
तूती की ,सुनता ना ,नक्कारखाने में कोई 
किसी के साथ करी ,कोई छेड़खानी का ,
नतीजा कभी भी ,अच्छा न निकलता देखा 
हमने ,कुदरत से करी ,जब से छेड़खानी है ,
संतुलन  सारा है दुनिया का बदलता  देखा 
जबसे छेड़ा है हमने फैले हुए जंगल को ,
बदलने लग गया तबसे मिजाज ,मौसम का
छेड़खानी जो करी हमने  हवा पानी से,
बिगड़ पर्यावरण ने ,सबको दिया है धमका 
हवा गरम ही नहीं ,हो रही है  दूषित भी ,
प्राणवायु के श्रोत ,हो रहे है जहरीले 
आओ सम्पन्नं करें फिर से सम्पति वन की ,
उगाये अधिक वृक्ष और सुख से हम जी लें 
छेड़ना है तो फिर अपने जमीर को छेड़ें ,
आत्मा सोई है , छेड़ें , उसे जगाएं हम  
धरम के नाम पर जेहाद नहीं छेड़ें  हम , 
प्रेम और दोस्ती का राग छेड़ ,गायें हम 
   
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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