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सोमवार, 16 मई 2016

संसार बसा कर तो देखो

संसार बसा कर तो देखो

तुम हो खिलती कली ,नहीं यूं इतराओ ,
भँवरे,तितली,सब आ आ कर,रस चूसेंगे,
वरमाला में गुंथ , लिपटो  तुम सीने से,
        जीवन भर तक ,तुम संग साथ निभाऊंगा  
चन्दा का क्या ,वह घटता बढ़ता रहता ,
मैं तो तुम से प्यार करूंगा  सूरज सा ,
दिल के आसमान में बिठला तो देखो ,
         तुम्हारा जीवन चम चम   चमकाउंगा
तुम तो एक कागज का कोरा टुकड़ा हो,
आओ मेरी प्रेम डोर से बांध जाओ ,
तुमको बना पतंग ,साथ में ले अपने ,
        आसमान में ,मैं तुमको पहुंचा दूंगा
तुम तो कल कल करती ,बहती नदिया हो ,
अंततः तुमको मिलना ,मुझसे ही है ,
मैं रत्नाकर ,मुझमे आओ,समा जाओ,
         मोती ,रत्नो से मैं तुम्हे  सजा दूंगा
यह मन का मर्कट तो है शैतान बहुत,
उछलकूद कर,डाल डाल बैठा करता ,
स्वामिभक्त हनुमान बनेगा अगर इसे ,
         अपने मन मंदिर में बिठला तो देखो
कहते है दिन चार जिंदगी होती है ,
बड़ी सुहानी यार जिंदगी  होती है  ,
मैं तुम संग ,सुख का संसार बसाऊंगा ,
         तुम मुझ संग,संसार बसा कर तो देखो

'मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
               
'

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