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मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

अच्छे दिनों का संकेत

        अच्छे दिनों का संकेत

निकल कर के बिलों से सांप जो ये फनफनाते है
हमे बदलाव के लक्षण ,नज़र स्पष्ठ    आते  है

बिलों में छुपने वालों में ,संपोले ,नाग कितने है,
   बड़ा मुश्किल हुआ करता ,इन्हे पहचान यूं पाना
जरूरी इसलिए ये था ,निकाले जाय ये बिल से ,
    बिलों में जब भरा पानी ,पड़ा इनको निकल आना
निकल आये है ये विषधर ,बिलों से अपने जब बाहर ,
    कोई ना कोई लाठी तो ,कुचल  ही देगी ,इनका फन
हुई जमुना थी जहरीली ,जहाँ पर वास था इनका,
     कोई कान्हा फनों पर चढ़,करेगा कालिया मर्दन
जो तक्षक ,स्वांग रक्षक का ,धरे भक्षक बने सब थे ,
      परीक्षित को न डस पाएंगे ,ले कोशिश कितनी कर
बिलों में जो दबा कर के ,रखी थी नाग मणियां सब ,
      निकलते ही सब निकलेगी ,सबर रखना पड़ेगा पर
किसीने दक्षिणा इतनी ,दिला दी नारदो  को है  ,
       उन्ही का कर  रहे कीर्तन,उन्ही के गीत गाते है
उन्ही की शह पे फुँफकारा ,किया करते संपोले कुछ,
       है बूढ़े नाग चुप बैठे  ,समझ अपनी दिखाते है
तुम्हे क्या ये नहीं लगता ,बदलने वाला है मौसम ,
      घटाएं  आसमां में छा रही थी ,हट रही  सब है
उजाले की किरण ,रोशन हमारा नाम है करती,
       हमे विश्वास अच्छे दिन ,शीघ्र ही आ रहे  अब है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   
         

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