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मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

मै क्या पहनूं ?

       मै क्या पहनूं ?

अल्मारी में भरे हुए है,
कितने कपड़े ,कितने गहने
पर बाहर जाने के पहले ,
पत्नीजी ने हमसे पूछा ,
'हम क्या पहने ?
हम ने धीरे से कह डाला
'कुछ ना पहनो '
काहे को तुम करती हो,
 इतनी  माथापच्ची
बिन कुछ पहने भी तुम,
 मुझको लगती अच्छी
क्यों कपड़ों का बोझ,
 उठाती हो तुम तन  पर
वैसे ही साम्राज्य तुम्हारा,
 मेरे मन पर
लाख आवरण में ढक  लो ,
पर छुप ना पाती ,
तुम्हारे तन का ,
ये सौष्ठव और सुगढ़ता
सभी रूप मे तुम
 मुझको प्यारी लगती हो ,
कुछ भी पहनो ,
मुझको कोई फरक ना पड़ता

घोटू  
 

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