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रविवार, 14 फ़रवरी 2016

गुमसुम गुमसुम प्यार

         गुमसुम गुमसुम प्यार

जीवन की भागभागी में,गुमसुम गुमसुम प्यार हो गया
एक साल में एकगुलाब बस ,यही प्यार व्यवहार हो गया
कहाँ गयी  वो  छेडा  छेङी , वो मदमाते ,रिश्ते चंचल
कभी रूठना,कभी मनाना ,कहाँ गई  वो मान मनौव्वल 
वो छुपछुप कर मिलनाजुलना ,बना बना कर ,कई बहाने
चोरी चोरी ,ताका झाँकी ,का अब मज़ा कोई ना जाने
एक कार्ड और चॉकलेट बस,यही प्यार उपहार हो गया
जीवन की भागा भागी में ,गुमसुम गुमसुम प्यार होगया
नहीं रात को तारे गिनना,नहीं प्रिया, प्रियतम के सपने
सब के सब ,दिन रात व्यस्त है, फ़िक्र कॅरियर की ले अपने
एक लक्ष्य है ,बस धन अर्जन ,शीघ्र कमा सकते हो जितना
करे प्यार की चुहलबाज़ियाँ ,किसके पास वक़्त है इतना
प्यार ,नित्यक्रम ,भूख मिटाने को तन की,व्यवहार हो गया
जीवन की भागा भागी में,गुमसुम गुमसुम प्यार  हो गया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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