पृष्ठ

रविवार, 28 फ़रवरी 2016

शैतानियाँ

           शैतानियाँ

कुछ बच्चे शैतानी करते है तो भी प्यारे लगते है
कुछ लड़के,शैतानी कर,लड़की को पटाया करते है
कुछ साधू है शैतान बने , आती है खबरें ,यदा कदा
मुंह से कहते राम राम और छुरी बगल में रखें सदा
कुछ डॉक्टर भी शैतान बने ,है सेवा जिनका परम धर्म
कन्या की भ्रूण हत्या करवा ,वो करते रहते पाप कर्म
भोले मासूम मरीजों की ,वो किडनी चोरी करते है
अपनी  शैतानी हरकत से ,अपनी वो तिजोरी भरते है
शैतान बने है कुछ अफसर ,ढाते है जुलम ,मातहत पर
बच्चों का शोषण करते है ,शैतान बने है कुछ टीचर
कुछ शैतानी ,लगती प्यारी ,जो पत्नी हम संग करती है
सजधज कर करती छेड़छाड़ ,सब जिद मनवाया करती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।