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सोमवार, 16 नवंबर 2015

ब्रह्म वाक्य

           ब्रह्म वाक्य

अपनी संतानो से उपेक्षित,
 वरिष्ठजनो ने करवाया  यज्ञ बड़ा
जिसके  प्रभाव से ब्रह्माजी को,
प्रकट हो  स्वयं धरती पर आना पड़ा
उन्होंने आकर प्रश्न किया ,
भक्तों मुझे किसलिए किया याद 
यजमानो  ने कहा ,
प्रभु,आपने ये कैसी बनाई है औलाद
अपने जन्मदाताओं को ,
धता दिखा देती है,शादी के बाद
बिलकुल ख्याल नहीं करती ,
तिरस्कृत  कर दिल तोड़ देती है
उन्हें बुढ़ापे में तड़फ़ने के लिए ,
अकेला छोड़ देती है
आपने ही तो उन्हें बनाया है
पर उनके दिमाग में ,
पितृभक्ती वाला प्रोग्राम नहीं लगाया है
ब्रह्माजी बोले मैं  खुद हैरान हूँ
दुखी और परेशान हूँ
मेरे इस उत्पाद में जरूर कुछ कमी है भारी
पर अब तक ठीक ही नहीं हो पा रही ,
ये निर्माता को भूलने की बिमारी
इसे सुधारने का मेरा हर प्रयास व्यर्थ जाता है
क्योंकि शादी के बाद ,
उसमे  'पत्नी' नाम का'वायरस' लग जाता है
वैसे मैंने आप लोगों का भी निर्माण किया है
पर क्या आपने कभी ,मेरी ओर ध्यान दिया है
पालनकर्ता विष्णु के अवतारों की भी पूजा करते है
राम राम और कृष्ण कृष्ण जपते  है
हर्ता शिवजी से डर कर उन्हें ध्याते है
पूरे सावन भर जल चढ़ाते है
और तो और उनकी पत्नी दुर्गा को ,
वर्ष में दो बार नवरात्री में पूजा जाता है
विष्णु पत्नी लक्ष्मी की पूजा के  लिए भी,
दीपावली का त्योंहार आता है
सब ही देवी देवताओं  के पूजन और व्रत के लिए ,
वर्ष में कोई ना कोई दिन नियत है 
पर मेरे लिए ,न कोई दिन है ,
न पूजन होता है ,न कोई व्रत है
सभी  के देवताओं के पूरे देश में मंदिर अनेक है
पर पूरे विश्व में,मेरा मंदिर ,बस पुष्कर में एक है
तुम मेरी संतान हो पर तुमने ,
मेरी जो अवहेलना की है ,ये उसी का परिणाम है
कि तुम्हारी अवहेलना करती ,तुम्हारी संतान है
ये दुनिया का नियम है ,इस हाथ दो,उस हाथ लो
मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगा ,तुम मेरा ख्याल रखो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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