पृष्ठ

शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

आरक्षण का भूत

          आरक्षण  का भूत

देश में हर तरफ ,
जिधर देखो उधर ,हो रहे है आंदोलन
हर कोई चाहता है ,सरकारी नौकरी में,
उसे भी मिल जाए आरक्षण
और तो और वो कौमे भी ,
जो करती थी ,दलितों का दलन
आज उनके समकक्ष होने के लिए ,
कर रही है आंदोलन
क्योंकि आजकल कई जगह ,
सत्तर प्रतिशत से भी ज्यादा ,सरकारी नौकरियां ,
विभिन्न जाति के लोगों के लिए आरक्षित है ,
इससे सवर्ण त्रसित है
और अब पिछड़ी नहीं,अगड़ी जाति के लोग,
सबसे ज्यादा शोषित है
इनके प्रतिभाशाली  बच्चे ,
अच्छे कॉलेजों में एडमिशन नहीं पाते है
क्योंकि आरक्षण की वजह से ,
घोड़ों की दौड़ में ,गधे घुस जाते है
इस चक्कर में  ,
प्रतिभाशाली  छात्र छले जाते है
और कुछ तो इसीलिये ,आगे की पढ़ाई के लिए ,
 विदेश चले जाते है
कुछ तो विदेशों की व्यवस्था और वैभव देख कर
वहीँ बस जाते है,नहीं आते लौट कर
और बाकी जो लौट कर आते है
अपनी काबलियत और विदेशी डिग्री के कारण ,
यहाँ भी खूब कमाते है
कोई इंजीनियर बना तो उद्योग लगाता है
देश को प्रगति  के पथ पर पहुंचाता है
कोई डॉक्टर बन ,अस्पताल चलाता है
और ये देखा गया है,
इनके प्रायवेट अस्पतालों में ,
मंहगे होने के बावजूद भी ,बड़ी भीड़ रहती है ,
हर कोई यहाँ इलाज कराता है
यहाँ तक की आरक्षित  कोटे से,
भर्ती हुआ बड़ा सरकारी अफसर भी ,
अपने इलाज के लिए ,सरकारी अस्पताल नहीं,
इन्ही प्रायवेट अस्पतालों में जाता है
शायद इन्हे खुद ही ,
अपने जैसे क्वालिफाइड लोगों की ,
कार्यकुशलता पर नहीं है विश्वास
इसलिए ,वो नहीं जाते उनके पास
नेता लोग वोट के चक्कर में ,लोगों को ,
आरक्षण का लोलीपोप चुसा कर,  
देश के साथ कर रहे है विश्वासघात
और अगर ऐसे ही रहे हालत
तो देश की प्रतिभाओं का विदेश में ,
यूं ही 'ब्रेन ड्रेन 'होता रहेगा
या फिर देश का काबिल युवा ,
आरक्षण की मार का मारा ,
अवसर से वंचित रह कर ,
बस यूं ही रोता रहेगा
जब बोये गए बीज ही कमजोर होंगे ,
तो फसल तो बिगड़ ही जाएगी
मेरे देश के कर्णधारों को ,
सदबुद्धि कब आएगी

मदन  मोहन बाहेती 'घोटू'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।