पृष्ठ

शनिवार, 5 सितंबर 2015

हे माखन के चोर तुम्हारा स्वागत है...


हे माखन के चोर तुम्हारा स्वागत है
हे राधा चितचोर तुम्हारा स्वागत है
आओ लाओ सतयुग त्रेता द्वापर तुम
ये कलियुग घनघोर तुम्हारा स्वागत है...

छेड़ो ऐसी बंसी की धुन जग झूमे
तुम बोलो जैसे वैसे ही जग घूमे
कर दो कुछ ऐसा कि प्रेम की पवन चले
हे मनमोहन आओ तुम्हारा स्वागत है...

फिर से मित्र सखाओं का तुम नारा दो
व्याप्त अनैतिकताओं को घाव करारा दो
दिखलाओ लीला ऐसी कि पाप मिटे
है लीलाधर आओ तुम्हारा स्वागत है...

दो गीता का ज्ञान सभी को नई तरह से
खोलो अंतर्मन के द्वार सभी के नई तरह से
काम क्रोध मद मोह सभी की अति रोको
हे योगिराज - हे कृष्ण तुम्हारा स्वागत है
हे 'सबसे चर्चित मित्र'तुम्हारा स्वागत है...

- विशाल चर्चित

1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना ..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।