पृष्ठ

बुधवार, 9 सितंबर 2015

मच्छर की दीवानगी

     मच्छर की दीवानगी

एक मच्छर मतवालो ,प्यार में दीवानो भयो,
ढूंढत रह्यो ,इहाँ उहाँ ,अपनी  मच्छरानी कूँ 
गुनन गुनन गीत गाय,गाँव गाँव ,गली गली ,
फिरत रह्यो,टेरत रह्यो ,प्रीतम  दीवानी  कूँ
सुन्दर सी नारी के ,गालन पर तिल देख्यो ,
चिपट गयो तिल पर जा,मच्छरानी जानी कूँ
अंधे के हाथन में ,जैसे की बटेर लगी,
ढूंढत रह्यो मच्छरानी ,पाय गयो रानी कूँ

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।