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रविवार, 9 अगस्त 2015

छुवन

           छुवन

नन्हा बच्चा जब रोता है ,
माँ उसे थपथपाती है
माँ के हाथों की छुवन ,
उसे चुप कर,सुलाती है
बड़ा होने पर ,जब भी माता पिता के,
चरण छूकर , सर नमाता है
ढेरों आशीर्वाद पाता  है
और जवानी में किसी लड़की की छुवन
कर देती है उसके पूरे तन में सिहरन
इस छुवन के भी कई रंग है ,कई ढंग है
हाथ ,जब गालों को छूकर सहलाता  है ,
तो मन में भरता  उमंग है
वो ही हाथ जब तेजी से,
 गालों पर पड जाता है  
तमाचा कहलाता है
कई बार एक दूजे को छू
लोग करीब आते है
 कबड्डी के खेल में ,ज़रा सा छूने पर ,
आउट हो जाते है
गुरूजी के ज्ञान की ऊर्जा ,
उनके चरण छूने पर ,
हमें प्राप्त होती है,जीवन संवारती है
तो बिजली के तारों में ,प्रभावित ऊर्जा ,
जरा सा छूने पर,करंट मारती है
कलम कागज़ को छूकर जब चलती है,
महाकाव्य रचा करती है
और कलाकार की तूलिका ,
जब कैनवास को छूती है
तो अनमोल पेंटिंग सजा करती है
कई बातें ,बिना स्पर्श किये ही,
दिल को छू जाती है
आँखे भी बिना छूए ही ,
एक दूसरे से मिल जाती है
इस छुवन का भी ,
बड़ा अजीब चलन होता है
हाथ को हाथ छूते  है तो दोस्ती होती है,
होंठ को होंठ छूते है तो चुम्बन होता है
दूर क्षितिज में,आसमान ,
धरती को छूता  हुआ नज़र आता है
पर क्या धरती और आसमान  का,
कभी मिलन हो पाता है 
आकाश की ऊंचाइयों को छूने का ,
मन में लेकर अरमान
जब सच्ची लगन से कोशिश करता इंसान
तो उसके कदमो को छूती  सफलता है
छुवन से ही जीवन है,जगती है ,प्रकृति है,
छुवन के बिना कुछ काम नहीं चलता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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