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शनिवार, 25 जुलाई 2015

मैं तुम्हारा मीत रहूंगा

                मैं तुम्हारा मीत  रहूंगा

चाहे तुम मुझको अपना समझो ना समझो,
                पर जीवन भर ,मैं तुम्हारा मीत  रहूंगा
तुम बरबस ही अपने होठों से छू लगी ,
                मधुर मिलन का प्यारा प्यारा गीत रहूँगा
जिसकी सरगम दूर करेगी सारे गम को ,
               मैं मन मोहक,वही मधुर संगीत रहूँगा  
जिसकी कलकल में हरपल जीवन होता है,
               मै गंगा सा पावन  और पुनीत  रहूँगा
पहना तुमको हार गुलाबी वरमाला का ,
             मैं कैसे भी , ह्रदय तुम्हारा जीत रहूँगा
निज सुरभि से महका दूंगा तेरा जीवन ,
              सदा तुम्हारे दिल में बन कर प्रीत रहूँगा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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