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बुधवार, 15 जुलाई 2015

कान्हा की मुश्किल

          कान्हा की मुश्किल

नहीं वृन्दावन तुम,हो  आते कन्हैया
न लीलायें अपनी  ,दिखाते कन्हैया
सुनी बात ये तो ,कहा ये किशन ने
बहुत कुछ गया अब ,बदल वृन्दावन में
कभी हम चराते थे गायें जहाँ पर
नयी बस्तियां ,बस गयी है वहां पर
नहीं गोपियाँ जा के ,जमुना नहाये 
भला उनके कैसे वसन हम चुराएं
सभी के घरों में ,बने स्नानघर  है
नहा कर वहीं से ,निकलती ,संवर है
सुना करती दिन भर है वो फ़िल्मी गाने
उन्हें क्या लुभाएगी ,मुरली की ताने
घरों में अब मख्खन ,बिलौते नहीं है
चुराऊं क्या, ना दूध है  ना  दही  है 
मैं  जमुना नहाऊँ ,बहुत आता जी में
मगर है प्रदूषण ,बड़ा जमुना जी में
कई कालियानाग,वमन विष का करते
 हुई जमुना मैली,इन्ही की वजह से 
पुलिस से शिकायत ,करेगा जो कोई
दफा,हर दफा वो लगा देंगे  ,कोई
चुराऊं जो माखन,अगर घर में घुस कर
दफा वो लगा देंगे ,तीन सौ अठहत्तर
फोडूं जो मटकी ,अगर मार  कंकर
दफा पांच सौ नो में ,कर देंगे अंदर
अगर गोपियों के ,चुराउंगा  कपडे
तीन सो चोपन में ,वो मुझको पकडे
मै बोला डरो मत,कन्हैया तुम इतने
पुलिस और दारोगा,सभी भाई अपने
तुम्हारे लिए माफ़ ,हर एक खता है
यदुवंशियों का ही  शासन  यहाँ  है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

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