पृष्ठ

शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

गुरुपूर्णिमा पर दो कवितायेँ

      गुरुपूर्णिमा पर दो कवितायेँ
                       १
कहते है शक्कर
हमेशा होती है गुड़ से बेहतर
इसीलिये ,जब चेले लाखों कमाते है
और गुरुजी अब भी अपनी पुरानी,
 स्कूटर पर कॉलेज जाते है
लोग कहते है अक्सर
गुरूजी गुड़ ही रहे ,
और चेलेजी हो गए शक्कर
पर वो ये भूल जाते है कि गुड़ ,
सेहत के लिए बड़ा फायदेमंद होता है
और ज्यादा शकर खानेवाला ,
डाइबिटीज का मरीज बन,
जीवन भर रोता है
इसलिए लोग जो कहते है ,कहने दें
गुरु को लाभकारी ,गुड़ ही रहने दें
क्योंकि वो हमें देतें है ज्ञान
कराते है भले बुरे की पहचान
बनाते है एक अच्छा इंसान
इसलिए ऐसे गुरु को ,
हमारा कोटि कोटि प्रणाम
                   २
सच्ची निष्ठां से हमें शिक्षित किया ,
               हम है जो कुछ ,गुरु का अहसान है
कभी मारी छड़ी,दुलराया कभी,
                तभी मिल पाया हमें ये ज्ञान  है
सच्चे मन और समर्पण से पढ़ाते ,
                वो  गुरु, बीते  हुए  कल  हो गए 
कभी ट्यूशन ,कभी कोचिंग कराते ,
             आज गुरु कितने कमर्शियल हो गए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।