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बुधवार, 6 मई 2015

सरोकार

            सरोकार

हमारी शक्शियत से,अदब से ,पढाई से ,
नहीं है,जिसको ज़रा सा भी सरोकार नहीं
उन्होंने इसलिए है किया नापसंद हमें ,
हमारे  पास में बँगला नहीं है,कार नहीं
हमारा कोई अकाउंट' फेस बुक 'में नहीं,
न ही  लेटेस्ट डिज़ाइन का पास मोबाईल
इस तरह पुराने ढचरे के कोई इन्सां संग,
जिंदगी काट नहीं पाएंगे ,होगी मुश्किल 
न तो पिज़्ज़ा ,नहीं बर्गर ,न  खाना होटल में ,
नहीं है शौक हमको महफ़िलों में पीने का
नहीं आता थिरकना  हमको डी जे की धुन पर ,
बड़ा ही दकियानूसी है तरीका जीने का
कहा हमने कि तुम आटा भी गूंध ना पाती ,
पका के घर में रोटी किस तरह खिलाओगी
एक चलता है तेज,दूसरा धीमा पहिया ,
गृहस्थी की भला गाडी क्या चला पाओगी
ऐसी शादी से तो हम अच्छे कंवारे ही है ,
ऐसी बीबी की हमें कोई भी दरकार नहीं
सिर्फ अपने ही मतलब की सोच रखती हो,
अपने घरवालों से है जिसको सरोकार नहीं

घोटू

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