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मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

'रामा रामा सीपों सीपों - कृष्णा कृष्णा सीपों सीपों'

पुराने जमाने में
संगीत के शिष्य ने
कोमल की जगह
तीव्र 'म' लगाया,
तो गुरू ने
छ्ड़ी से की धुलाई, और
नानी याद दिलाया..
इसतरह मार - मार के उसका
हर सुर होता था पक्का,
और इसीतरह हर शिष्य
लगाता था संगीत में छक्का...
आज का गुरू जब
बड़े बाप के बच्चों को सिखाता है,
तो दस हजार की फीस पर
दो हजार चाय पानी के पाता है,
इसलिये ज्यादा दिमाग नहीं लगाता है...
चेला हमेशा 'स रे' की जगह
'ग ध' का सुर लगाता है,
गुरू इसको आधुनिक संगीत में
एक अनूठा एवं नव प्रयोग बताता है...
अब बेटा जब गर्दभ स्वर में
'सीपों सीपों' गाता है,
सुन के अमीर मां - बाप का
सीना चौड़ा हो जाता है...
करके पच्चीस लाख खर्च
बनवाते हैं लाल के लिये
संगीत का महान एल्बम...
मीडिया भी पाता है जब
मुंहमांगा पैसा, तो -
प्रचार करता है कुछ ऐसा,
कि देखते ही देखते
पूरे देश में गूंज उठता है शोर -
'रामा रामा सीपों सीपों'
'कृष्णा कृष्णा सीपों सीपों'...
म्युजिक हो जाता है सुपरहिट
आज की पीढ़ी पर एकदम फिट,
पुराने जानकार पीटते हैं माथा
"हे भगवान - ओह शिट !!!"

- विशाल चर्चित

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