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शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

एसा लगता है वो हमसे नाराज है आज सूरज ने सूरत दिखाई नहीं बेरुखी देख उसकी खफा हम हुये हमने सर से हटाइ रजाइ नहीं धूप के रूप का गर न जलवा दिखे तो जरूरी नहीं हम ठिठुरते रहे कम से कम परवाने तो जलेगे नहीं जो अगर उनने शमा जलाई नहीं घोटू

1 टिप्पणी:

  1. वाह जी वाह !!!
    bhaavon kaa aisaa ghotam-ghot
    aapke paas hii sambhav hai.
    naam pooraa saarthak kar rahe hain aap.

    yadi aapki kavita kareene se likhi gayi hoti to
    aam paathak bhi iskaa mazaa le paate.
    kuchh hi hote hain jo Jamaalghote se bhi tatv doondh lete hain.

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