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सोमवार, 27 अक्टूबर 2014

कुछ हम भी खुश हो लेते है

        कुछ हम भी खुश हो लेते है

जीवन माला में मोती सा ,उनका प्यार पिरो लेते है
कुछ उनको खुश कर देते है,कुछ हम भी खुश हो लेते है
वो कैसी भी हो कह देते ,बेहद आप खूबसूरत  हो
हंसती हो तो फूल खिलाती,तुम सुंदरता की मूरत हो
तारीफ़ करके, उनके मन में ,बीज प्यार  बो लेते  है
कुछ उनको खुश कर देते है, कुछ हम भी खुश हो लेते है
उनकी कार्य दक्षता के हम,सब के आगे गुण  गाते है
वो कैसा भी पका खिलाये ,हम तारीफ़ करके खाते है
उनके प्रेमपात्र बन कर हम ,उनका प्यार संजो लेते है
कुछ उनको खुश कर देते है,कुछ हम भी खुश हो लेते है
 आप बांटते जितनी खुशियां,बदले में दूनी मिलती है 
लेनदेन के इसी चलन से ,जीवन की बगिया खिलती है 
उनको मीठी नींद सुला कर,हम भी थोड़ा सो लेते है
कुछ उनको खुश कर देते है ,कुछ हम भी खुश हो लेते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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