पृष्ठ

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

हुस्न या मिठाई की दूकान

          हुस्न या मिठाई की दूकान


सुन्दर तिकोनी नाक ज्यों  बर्फी बादाम की,
                  हो  टेढ़ीमेढ़ी  जलेबी या जैसे इमरती
है गाल भी गुलाबजामुन जैसे रसीले ,
                 रबड़ी के लच्छों की तरह बात तुम करती     
तन में भरे है  जैसे लड्डू मोतीचूर के,
                  मीठा है बड़ा स्वाद ,हर एक अंग तुम्हारा ,
लगता है तुम मिठाई की पूरी दूकान हो,
                   रसगुल्ले की तरह पूरी रस से टपकती

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।