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रविवार, 21 सितंबर 2014

दुनियादारी

             दुनियादारी            

तुम मेरी तारीफ़ करो और मैं तारीफ़ करूँ  तुम्हारी
यही  सफलता मूलमंत्र है,यही कहाती  दुनिया दारी

मैं तारीफ़ के  पढूं कसीदे ,और आप मेरे गुण  गाओ
जब भी कोई आयोजन हो,मैं तुमको,तुम मुझे बुलाओ
एक दूजे के चमचे बन कर ,हम तारीफों के पुल बांधें ,
रेती में सीमेंट डाल कम ,प्रॉफिट बांटे ,आधे ,आधे
ये सब हम तुम क्यों न करें ,जब ये करती है दुनिया सारी
यही सफलता मूलमंत्र है ,यही कहांती दुनियादारी 

मेरी उंगली रस में डूबे ,मैं रसगुल्ला तुम्हे खिलाऊं
और स्वाद फिर रसगुल्ले का,तुम भी पाओ,मैं भी पाऊं
हुई ऊँट के घर पर शादी, गर्दभ आये गीत  सुनाने
कितना मधुर आपका स्वर है ,लगे ऊँटजी ,उन्हें सराहने
और  गधेजी कहे ऊँट से ,तुम्हारी सूरत अति  प्यारी 
यही सफलता मूलमंत्र है , यही कहाती  दुनियादारी

रोटी हित यदि लड़े बिल्लियाँ ,तो अक्सर ये देखा जाता
न्याय दिलाने वाला बन्दर ,सारी रोटी खुद खा जाता
कौवे के मुख में रोटी हो ,खड़ी लोमड़ी ,भूखी,गुमसुम
करती है तारीफ़  काग की ,कितना  अच्छा गाते हो तुम
न दो  लोमड़ी ,ना बन्दर को,खुद ही खाओ  रोटी  सारी
यही सफलता मूलमंत्र है ,यही कहांती  दुनिया दारी

मदन मोहन  बाहेती'घोटू'

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