पृष्ठ

सोमवार, 29 सितंबर 2014

हम मेट्रिक फ़ैल ही अच्छे

           हम मेट्रिक  फ़ैल ही अच्छे

न तो है हम पढ़े लिख्खे ,नहीं कुछ पास है डिगरी
मगर हम यार यारों के,दोस्त है दोस्त के जिगरी
हमारे वस्त्र मत देखो , बड़ी है सादगी  हम में
हमारी भावना देखो  ,बड़ी है  ताजगी  हम में
भरे है हम मोहब्बत से ,और दिल के है हम सच्चे
पढ़े लिख्खों से तुम जैसे ,हम मेट्रिक फ़ैल  ही अच्छे
पूजते माँ पिता को है ,देवता मान जीवन में
बुजुर्गों के लिये  श्रद्धा ,आज भी सच्ची  है मन में
दिखावे और आडम्बर से हम दूरस्थ रहते है
दाल और रोटी खाकर भी ,हमेशा मस्त रहते है
वचन के पक्के, देते ना किसी को कोई भी गच्चे
पढ़े लिख्खों से तुम जैसे ,हम मेट्रिक फ़ैल ही अच्छे
पुराने रस्म और रिवाज ,हम पूरे निभाते है
कोई मेहमान आता है  ,उसे पलकों बिठाते है
थामते हाथ है उसका  ,जिसे जरूरत सहारे की
 न जिम्मेदारी कोई भी ,कभी हमने  किनारे  की
आज की दुनियादारी में ,भले ही थोड़े है  कच्चे
पढ़े लिख्खे तुम जैसों से,हम मेट्रिक फ़ैल ही अच्छे

मदन मोहन बाहेती' घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।