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रविवार, 14 सितंबर 2014

समर्पण सुख

             समर्पण सुख
फल अगर निज गर्व में ,चिपका रहेगा डाल पर,
टूट कर ना दे किसी को स्वाद तो सड़  जाएगा
पुष्प ,माला में गूथेंगा ,चढ़ेगा  भगवान पर ,
डाल पर ही रहेगा तो  बस यूं ही कुम्हलायेगा
जिंदगी की सार्थकता है समर्पण ,इसलिए ,
तू किसी को समर्पित हो और किसी के काम आ
रूप से भरपूर तुझको ,बनाया भगवान ने,
चाहता हूँ मैं तुझे ,तू बांह  मेरी ,थाम  आ
देख ले ,तू मान जा ,इसमें है तेरा  फायदा ,
सुख किसी को मिलेगा तो सफल होगी जिंदगी
यदि तुम्हारे समर्पण से ,संवरे जीवन किसी का,
इससे बढ़ कर नहीं होती है खुदा की बंदगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू;

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