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रविवार, 14 सितंबर 2014

अब तुमसे क्या मांगूं ?

             अब तुमसे क्या  मांगूं ?

इतना कुछ दे दिया आपने ,बोलो अब तुमसे क्या मांगूं ?

तुम मेरे जीवन में आये ,ज्यों मरुथल में जल की धारा
सूख रहे मन तरु को सिंचित करने बरसा प्यार तुम्हारा
तुमने दिया मुझे नवजीवन ,सूने मन में प्रीत जगाई
टिम टिम  करते बुझते  दीपक में आशा  की ज्योत जगाई
बस जीवन भर बंधा  रहूँ  मैं,इस बंधन में,कहीं न भागूं 
इतना  कुछ दे दिया आपने,बोलो अब तुमसे क्या मांगूं ?

मेरी अंधियारी  रातों में ,बनी चांदनी छिटक गयी तुम
तरु सा मैं तो मौन खड़ा था,  एक लता सी,लिपट गयी  तुम
तन का रोम रोम मुस्काया ,तुमने  इतनी प्रीत जगा दी
मैं पत्थर था,पिघल  गया हूँ ,तुमने ऐसी  आग लगा दी
आओ बाहुपाश में बंध  कर ,तुम भी जागो,मैं भी जागूँ
इतना कुछ दे दिया आपने ,बोलो अब तुमसे क्या मांगूं?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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