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शनिवार, 16 अगस्त 2014

समझ मोबाइल मुझे

      समझ मोबाइल मुझे

हाथ में लेकर के मुझको ,फेरते थे उँगलियाँ,
साथ में रखते थे हरदम  ,समझ मोबाइल मुझे
दबा कर के बटन ,मेरी खींचते  तस्वीर थे ,
खुश थी मैं कि कम से कम समझा है इस काबिल मुझे
यूं तो अक्सर फेस बुक पर ,तुमसे मिल लेती थी मैं ,
फ्रेंडलिस्ट से कर दिया ,डिलीट क्यों,संगदिल मुझे 
आजकल  मेसेज भी 'वर्डस एप' पर आते नहीं ,
क्यों जलाते रहते हो तुम ,इस तरह तिल तिल मुझे
फोन करती ,मिलता उत्तर,'सारी लाइन व्यस्त है ',
भुलाने भी नहीं देता ,तुम्हे, मेरा दिल मुझे
या तो लगता है तुम्हारी ,बैटरी डिस्चार्ज  है,
या तुम्हारी 'सिम'में ही,लगती कोई मुश्किल मुझे

 घोटू

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