पृष्ठ

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

स्वाद

                स्वाद

जो लज्जत ,दाल रोटी में,माँ के हाथों की होती है ,
         किसी मंहगे से मंहगे रेस्तरां में ,मिल नहीं सकती
जो ठंडक ,कुदरती ठंडी हवा के झोंकों में होती,
        लगा लो ऐ सी या कूलरवो राहत मिल नहीं सकती
भले ही लन्दन हो पेरिस हो या न्यूयार्क ही हो पर,
       सिर्फ दो चार दिन तक घूमना ही अच्छा लगता है,
शांति  आपको  जो अपने घर में आ के मिलती है ,
      फाइवस्टार होटल में ठहर कर मिल नहीं सकती

घोटू

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।