पृष्ठ

बुधवार, 13 अगस्त 2014

लाल किले से चाय पिलाता

             लाल किले से चाय पिलाता

भारत की अनमोल धरोहर ,चमक रहा है लाल किला ये ,
कड़क, गुलाबी ,गरम चाय सा ,आज दिखाता  है हमको
दौड़ दौड़ ,बचपन में  जिसने ,चाय पिलाई थी सब  को,
लाल किले से वो ही मोदी ,आस दिलाता है हमको
भ्रष्टाचार विहीन व्यवस्था ,के उज्जवल ,धोये कप में,
प्रगतिशील,सुखमय जीवन की ,चाय पिलाता है हमको
 स्वप्न गुलाबी ,चाय सरीखे ,अच्छे दिन की आशा में,
घूँट  घूँट  चुस्की  ले  पीना  ,सदा सुहाता है हमको  

घोटू   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।